जब से ख़बर सुनी तभी से ऐसा लग रहा है जैसे मेरे ही अस्तित्व में भीतर चीखने वाला कोई चरित्र आज खामोश हो गया हो. चेचक दाग़ी चेहरा, दरम्याना कद, ख़ूबसूरती ऐसी कि कैमरे का कोई भी एंगल इस्तेमाल कर लो -सब फेल. चिकने चुपड़े चेहरों को देखने टिकट खरीदते हुजूम वाले माहौल में ओमपुरी