सावरकर ने कुत्तों और गधों से की थी गाय की तुलना
जनसत्ता की एक रिपोर्ट के अनुसार हिंदू महासभा के संस्थापक और हिंदुत्व की परिभाषा देने वाले विनायक दामोदर सावरकर गाय, गोमूत्र और गौ हत्या को लेकर आम परंपरावादियों से अलग विचार रखते थे. सावरकर गायों की सेवा के पक्ष में थे लेकिन उन्हें पूजने के खिलाफ थे. भारत में गाय सिर्फ जानवर मात्र नहीं है,
“हम सैनिकों को उतना डर आतंकियों से नहीं लगता जितना कि आॅफिसर का खौफ होता है”
सेना में व्याप्त वर्ग विभाजन का प्रत्यक्ष नजारा अब अपने बहुत ही वीभत्स अंदाज में उभर का सामने आया है और लगातार आ रहा है. तेज बहादुर ने सोशल मीडिया के माध्यम से सेना में व्याप्त जिस गलीज को मयसबूत उकेरा है, उसे किसी भी हालत में झुठलाया नहीं जा सकता. पर बिडम्बना तो यह
भ्रष्ट बीजेपी और उसके मुद्दे
देश के जनता के बीच लोकप्रिय हर उस मुद्दे को बदनाम होने की सीमा तक बीजेपी इस्तेमाल करती है. राम मंदिर से लेकर पाकिस्तान तक की बात करते हुए 56 ईंची सीना का राग अलापते बीजेपी जब से सत्ता में वापस आई है, अपने हर कुकर्मों के लिए कोई न कोई नया शिगूफा तैयार कर
कांग्रेस से ज्यादा भ्रष्ट है बीजेपी
बीजेपी हमेशा कांग्रेस के घोटाले दिखाकर खुद के घोटालों को छिपाने का काम करती है और खुद को देशभक्त साबित करने की कोशिश करती है और जनता को बेवकूफ बनाती है. जरा नजर डालते हैं भाजपा के घोटाले की लिस्ट पर. इसका अर्थ ये कदापि नहीं लगाया जाना चाहिए कि कांग्रेस या पूर्ववर्ती को पाक साफ़ करने
इतिहास बनाम इतिहास मिटाने का कुचक्र
बीजेपी और सोशल मीडिया पर बैठाये गये उनके पहरूओं ने जिस प्रकार देश के इतिहास और भूगोल पर सवालिया निशान लगाने का एक अभियान छेड़ रखा है, वह कहीं न कहीं देश को अराजकता और अंधकार की ओर घसीट कर ले जाने का एक दुष्चक्र के सिवा और कुछ नहीं है. बीजेपी शासन ने सत्ता
आधी रात वाली तथाकथित आजादी की नौटंकी
हमारे आसपास घटित होने वाली हर घटना अपने मूल स्वरूप में अपने अन्तर्राष्ट्रीय स्वभाव को समेटे होती है. ठीक इसी तरह हमारी तथाकिथत आजादी की अनोखी घटना घटना भी अपने स्वरूप में अन्तर्राष्ट्रीय स्वभाव को समेटे हुए थी. कुछ तथ्यों में इसकी पड़ताल करते हैं कि आखिर इस आधी रात वाली तथाकथित आजादी की नौटंकी
“जंग” को किस रुप में याद रखा जाये ?
जंग की कहानी तो हम सब जानते हैं जिससे बचने के लिए टेलीविजन के सुनहले पर्दे पर रंग-बिरंगे विज्ञापन दिखाये जाते हैं. परन्तु सत्ता में लगी जंग से कल शाम को ही छुट्टी हो गई अर्थात्् दिल्ली के उप-राज्यपाल जो दिल्ली की जनता के ऊपर जंग की भांति तैनात थी और खोखला कर रही थी,
वेनेजुएला भारत के मुकाबले बड़ा देश है।
भारत के मुकाबले वेनेजुएला कितना बड़ा देश है? लेकिन वहां का समाज और सरकार भारत के मुकाबले शायद ज्यादा वे जिंदा है। बिना तैयारी नोटबंदी के चंद रोज के भीतर वहां भी लोगों के खाने-पीने तक पर आफत आ गई, लोग जरूरत की चीजें तक नहीं ले पा रहे थे, पैसे के लिए बैकों के
देश की बढ़ती दुर्दशा : जिम्मेवार कौन ?
सन् 1947 ई. की आधी रात को हुई सत्ता हस्तांतरण की अनोखी घटना न केवल देश की विशाल आन्दोलनरत् क्रांतिकारी जनता के आंखों में धूल झोंकने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी अपितु इसी के साथ ही देश का चरित्र भी औपनिवेशिक से बदल कर अर्ध-औपनिवेशिकता का चोला पहन लिया. पूंजीवादी व्यवस्था ने सामंतवाद