- October 21, 2022
- Posted by: Rohit Sharma
- Category: News

भारत में शिक्षा के 3 मॉडल हैं. पहला – केरल का कम्युनिस्ट मॉडल, दूसरा – दिल्ली का केजरीवाल मॉडल और तीसरा गुजरात का मोदी मॉडल. कम्युनिस्ट शासित केरल मॉडल में सभी सरकारी स्कूल डिजिटल, केजरीवाल मॉडल छात्रों की सभी डेस्क कंप्यूटर और लैपटॉप के बिना खाली और तीसरा मोदी मॉडल में यहां तो स्कूल ही फेक है.
फिलहाल मोदी के गुजरात मॉडल को देखते हैं. पत्रकार गिरीश मालवीय लिखते हैं कि क्या जरूरत पड़ गई मोदी को नकली क्लास रूम सेटअप की ? पहले पहल जब मैने सोशल मीडिया पर आती हुई मित्रों की पोस्ट देखी तो मुझे लगा शायद वे गलत बोल रहे हैं. इतने बड़े देश का प्रधान मंत्री भला किसी सेट नुमा नकली क्लास रूम में जाकर बच्चों के साथ फोटो क्यों खिंचवाएंगे ?
लिहाजा मैने ANI के ट्विटर हैंडल पर आई तस्वीरों को खोजा तो मैं आश्चर्यचकित रह गया. वाकई क्लास रूम नकली बनाया गया था. वीडियो में जो खिड़की दिख रही है, वो अलग ही दिख रही है. ध्यान से देखेंगे तो दीवारों पर फ्लैक्स के सल तक दिख रहे हैं. खास बात यह है कि खिड़की जिस एंगल के लिए डिजाइन की गई है, फोटो और वीडियो भी उसी एंगल से शूट किए गए हैं.
अगर देश का प्रधानमंत्री स्कूल ऑफ एक्सीलेंस (School of Excellence) जेसे बड़े प्रोग्राम की घोषणा कर रहा है तो क्या क्लास रूम का एक कमरा असली नही बनाया जा सकता था ?