कार्ड से लेन-देन में वृद्धि की रफ्तार कम हो रही है

कैश की समस्या खत्म होते ही दिसंबर के आखिरी सप्ताह और शुरुआती जनवरी में कैशलेस पेमेंट में भारी गिरावट दर्ज की गई. व्यावसायिक संस्थानों में पेमेंट टर्मिनल्स इंस्टॉल करने वाली कंपनी पाइन लैब्स के सीईओ लोकवीर कपूर ने कहा, ‘पिछले कुछ सप्ताह से कार्ड से लेन-देन में वृद्धि की रफ्तार कम हो रही है. वृद्धि अभी भी हो रही है, लेकिन सप्ताह दर सप्ताह इसकी रफ्तार सुस्त पड़ रही है.’

पेमेंट इंडस्ट्री के अधिकारियों के मुताबिक, इसकी बड़ी वजह नकदी संकट खत्म होना है. सिस्टम में कैश आ चुके हैं और रिजर्व बैंक ने 500 रुपये के नोट भी सप्लाइ कर दी है इसलिए, नवंबर-दिसंबर महीनों में जो लोग छोटा से छोटा अमाउंट कार्ड से पे कर रहे थे, उन्होंने दोबारा कैश का रुख कर लिया है. कपूर ने कहा, ‘हमें देखने को मिला है कि जो लोग कार्ड से छोटे-छोटे पेमेंट कर रहे थे, वो अब कैश दे रहे हैं क्योंकि 2,000 रुपये का छुट्टा मिलना अब आसान हो गया है.’ उन्होंने कहा, ‘हमें इसकी आशंका पहले से थी लेकिन, हमें यह भी भरोसा है कि कैशलेस ट्रांजैक्शन बढ़ता रहेगा.’

एक ओर छोटे-छोटे अमाउंट का कार्ड पेमेंट कम हुआ है तो दूसरी ओर नोटबंदी के ऐलान के बाद छोटे शहरों में कैशलेस ट्रांजैक्शन की अचानक पकड़ी रफ्तार अब मंद पड़ने लगी है. इनोविटी पेमेंट सॉल्युशंज के सीईओ राजीव अग्रवाल ने कहा, ‘बड़े शहरों में 40 प्रतिशत ट्रांजैक्शन कार्ड से होते थे, वहां नोटबंदी के बाद यह आकंड़ा 80 प्रतिशत तक पहुंच गया था. हालांकि, छोटे शहरों में ये आंकड़े क्रमशः 15 प्रतिशत और 30 प्रतिशत हैं. हमें बाकी के 70 प्रतिशत लोगों की चिंता है जिन्होंने नोटबंदी के दौरान भी कार्ड पेमेंट को नहीं अपनाया.’ अग्रवाल की कंपनी एचडीएफसी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) और ऐक्सिस बैंक आदि के लिए 50,000 व्यापारियों के लिए पीओएस टर्मिनल्स मैनेज करती है.

कैशलेस ट्रांसेक्शन के साथ एक बड़ी समस्या यह भी है कि कैशलेस पेमेंट पर शुल्क पुनः पहले की ही तरह लागू कर दी गयी है. 5 ट्रांसेक्शन के बाद बैंक द्वारा शुल्क वसूलने की प्रक्रिया का चालू हो जाना भी कैशलेस सिस्टम के लिए एक बाधा बनकर निकली है.



Author: Rohit Sharma
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