कहानीःः नंगा राजा और जनता

एक राजा था. उसके यहाँ एक दिन 2 दर्जी आये उन्होंने कहा की हम स्वर्ग से धागा लाकर पोशाक बनाते हैं जिसे देवता पहनते हैंं. राजा ने कहा एक पोशाक मेरे लिए बनाओ. मुँह माँगा इनाम मिलेगा.दर्जी ने कहा ठीक है 50 दिन का टाइम दो और इस पोशाक की एक खास बात है ये मूर्खों को नहीं दिखेगी. राजा और भी खुश. ऐसे तो हम अपने राज्य के मूर्खों की भी पहचान कर लेंगे. दोनों ने पोशाक एक बंद कमरे में बनाना शुरू कर दिया. देर रात तक वो कटर-पटर करते रहते थे. एक दिन राजा ने मंत्री को भेजा कहा देखो कैसी पोशाक बन रही है. मंत्री कमरे के अंदर गया. जाते ही एक ने कहा, “देखो मंत्री कितना सुन्दर रेशा है”. पर मंत्री को कुछ दिखाई न दिया. उसे वो बात याद आई की मुर्ख को ये पोशाक दिखाई न देगी. मंत्री ने भी कहा “हां बहुत सुन्दर है और आकर राजा को बताया बहुत सुन्दर बन रही है आपकी पोशाक.” राजा बहुत खुश् हुआ. एक दिन राजा भी गया देखने. उसे भी कुछ न दिखाई दिया. पर चुप रहा और मन में सोचा लगता मंत्री हमसे ज्यादा बुद्धिमान है तभी उसे दिखाई दी थी मैं मुर्ख हूँ. इस प्रकार राजा चुप रहा. पोशाक बनकर तैयार हो गयी. दोनों दर्जियों ने कहा “कल हम जनता के सामने ये पोशाक पहनाएंगे. फिर राजा की सवारी निकलेगी”. दूसरे दिन राजा को पोशाक पहनाई गयी जो किसी को दिख नहीं रही थी पर बोला कोई नहीं.
…क्यों?
क्योंकि, मूर्खो को दिखती नहीं थी. इस डर से कि हमें सब मुर्ख कहेंगे, सब चुप रहे. राजा नंग धड़ंग होकर बड़ी शान से सवारी निकाल रहा था. … तो ये कहानी थी, जो आज बिल्कुल फिट बैठ रही है.

नोट बंदी से परेशानी सबको है पर यदि कह दे तो लोग कहेंगे कि “तुम्हारे अंदर देश भक्ति नहीं है? देश के लिये कोई भाव नहीं है? देशद्रोही हो ?” दिया गया है देश के नाम पर. सभी तारीफों में लगे हैं जैसे पोशाक की कर रहे थे.
देखना है देश कितना बदलता है ? मंहगाई कितनी कम हो जायेगी ? भ्रष्टाचार कितना कम होगा ?



Author: Rohit Sharma
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