विनिमय का चरित्र

बैंकिंग के क्षेत्र में फ्रॉड रोकने के लिए आज तक की सबसे उन्नत तकनीक ब्लॉकचेन या शेयर्ड लेजर को माना जाता है जिसका इस्तेमाल करने के लिए अभी कुछ बैंकों ने ही शुरुआती कदम उठाये हैं। बिटकॉयन आदि डिजिटल मुद्राएं इसी पर आधारित हैं। पेटीएम आदि वॉलेट तकनीक में इसके मुकाबले बच्चों के खिलौने हैं क्योंकि ये सिर्फ कागज की जगह इलेक्ट्रॉनिक सन्देश इस्तेमाल करने पर आधारित हैं। पर कुछ समय गुजरते ही बिटकॉयन भी चोरी होने शुरू हो गए; अभी कुछ महीने पहले तो साढ़े 6 करोड़ डॉलर के बराबर बिटकॉयन एक साथ ही चोरी हो गए। बल्कि पता चला कि इन डिजिटल मुद्राओं का सर्वाधिक उपयोग ही बड़े अपराधी गिरोहों – नशे, हथियारों, भाड़े के सैनिकों-हत्यारों, आदि के व्यापारियों द्वारा किया जाने लगा।
असल में बाजार व्यवस्था में मूल्य के विनिमय के कई रूप हैं जिनमें कैश या पेपर करेंसी सिर्फ एक रूप है। पहले धातु के सिक्के या कौड़ी, चमड़ा, आदि-आदि भी इसके लिए प्रयोग में आते रहे हैं। पूरी बैंकिंग व्यवस्था मूल्यवान वस्तुओं (सोना, चाँदी, आदि) के विकल्प के रूप में पेपर करेंसी, हुंडी, बिल, चेक, ड्राफ्ट, प्रोमिसरी नोट, सर्टिफिकेट ऑफ़ डिपॉजिट, आदि के इस्तेमाल पर ही आधारित है। इन सब का काम है कागज पर लिखे सन्देश द्वारा धन को एक व्यक्ति के मालिकाने से दूसरे व्यक्ति के मालिकाने में हस्तांतरित करना। अब इस को कागज में लिखने के बजाय एक इलेक्ट्रॉनिक सन्देश के रूप में भेजने को ही कैशलेस बताया जा रहा है और यह भ्रम पैदा किया जा रहा है जैसे इससे धन या मूल्य के रूप में इसके विनिमय का चरित्र बदल जायेगा और यह कोई बड़ा नैतिक रूप अख्तियार कर लेगा, सब बुराइयाँ पलक झपकते समाप्त हो जाएँगी।
लेकिन यह एक बड़ा धूर्तता भरा तर्क है – धन के मालिकाने और मूल्य के रूप में इसके विनिमय का चरित्र वही रहने वाला है। श्रमिक और पूँजी के मालिक के बीच सम्बन्ध भी वही रहने वाला है। मानव श्रम द्वारा उत्पादित मूल्य पर निजी मालिकाने द्वारा मुनाफा कमाने और पूँजी का कुछ लोगों के पास संकेद्रण भी इससे बदलने वाला नहीं है। भ्रष्टाचार हर वस्तु को बिकाउ बनाने वाली पूँजीवादी व्यवस्था की गर्भनाल में से ही पैदा हुआ है और इसका अभिन्न अंग है। जब तक मानव समाज के सामूहिक श्रम द्वारा उत्पादित मूल्य को कुछ लोगों द्वारा हस्तगत करने का काम जारी है, इसके साथ जुडी सारी बुराइयाँ भी ज्यों की त्यों रहने वाली हैं।



Author: Rohit Sharma
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