नोटबंदीःः साम्प्रदायिक बनाने की तैयारी

निचले स्तर पर संघ–भाजपा के प्रशक्षित कार्यकर्ता लगातार यह भ्रम फैलाते रहे हैं कि नोट बंदी से मुसलमान ज़्यादा परेशान हैं. ऐसा वह साम्प्रदायिक भावना को उभारने और उसकी तृप्ति के लिए करते रहे हैं. अब मुसलमानों के हितैशी एक नेता ने इसी तरह का बयान देकर साम्प्रदायिक मानसिकता के लोगों को ऊर्जा दे दी है. हालांकि यह बात बिल्कुल ग़लत है. बैंकों के बाहर कतार को देखें या नोट बंदी के कारण होने वाली मौतों के आंकड़े को, तथ्य इस दावे को नकारने के लिए काफी हैं कि नोट बंदी से कोई एक समुदाय या वर्ग प्रभावित है। वास्तविकता यह है कि देश के हर समुदाय और वर्ग के लोग नोट बंदी की मार झेल रहे हैं, गरीब, किसान और मज़दूर वर्ग सबसे ज़्यादा मुश्किल में हैंं. सरकारी पागलपन को जनता की नज़र से ही देखें हिंदू या मुसलमान की नज़र से नहीं. अगर आप ने ऐसा नहीं किया तो उस पागलपन को आप अगले शोषण के लिए हौसला दे रहे हैं.



Author: Rohit Sharma
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