- December 23, 2016
- Posted by: Rohit Sharma
- Category: News

#letter_to_pm
आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
मैने अपने 20 साल के जीवन में कभी कर्फ्यु तो नहीं देखा लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं कि वह स्थिति भी आपके आगमन से पैदा हुई स्थितियों से ज्यादा भयावह नहीं होगी। मैं बीएचयू का छात्र हूं और जब भी आपके बनारस आने की सूचना मिलती है मन असामान्य सा हो जाता है। एक चायवाले का पीएम होना हमारे लोकतंत्र की खुबसूरती हो सकती है लेकिन आपके आने से सैकडों चायवालों की दुकानें फेंक दी जाती है। इस बार भी आप उत्सव मनाने बीएचयू आए और आपके स्वागत में दुकाने हटवा दी गई, 171 दिनों से धरनारत अपने रोटी की माॅग कर रहे इसी बीएचयू के कर्मचारियों को जेल भेज दिया गया और नाकाबंदी से ना जाने कितने मरीजों ने तडपकर अपना दम तोड दिया। आपके आने से हम अपने ही कैम्पस में बेगाना हो गए। आप गड्डा नहीं देख सकते, आप बैंको की लाईन नहीं देख सकते, आप छोटी दुकानें नहीं देख सकते , आप गरीबों व मजदूरों को नहीं देख सकते और सवाल करते लोग नहीं देख सकते इसलिए सबको आपके रास्ते से हटा दिया गया क्योंकि अच्छे दिन को महसूस करना आपके लिए ज्यादा जरूरी है।
आप हर रोज किसी ना किसी उत्सव या कार्यक्रम में जाते होंगे और न जाने कितने लोग रोजाना आपके स्वागत में बेघर, बेरोजगार या मारे जाते होंगे। संसद की सीढियों पर मत्था पटकते हुए आपकी तस्वीर अच्छी आयी थी लेकिन शायद आपको मालूम नहीं कि जिस कैम्पस में आप उत्सव मनाने आए थे वहां पर्चा बांटने पर गिरफ्तारी और लाइब्रेरी मांगने पर निलंबन मिलता है । बीएचयू आकर हमारी समस्याओं पर बात करने की बजाए आपने कैम्पस को चुनावी मंच की तरह इस्तेमाल किया जिससे पूरा छात्र समुदाय आहत है।आपके कार्यक्रम में कुछ चुनिंदा मीडिया के अलावा किसी मीडियाकर्मी का प्रवेश ना मिलना सूचनाओं के लोकतंत्र की हत्या करने जैसा है।
बनारस के साथ बनारसियों को भी अपना मानते हैं तो बनारस मत आईएगा।हमारा क्या?? जनता तो होती ही है परेशानियों को झेलने के लिए। बैंक की कतार ही कभी चुनाव की कतार बन जाती है और हम सोचते ही रहते हैं कि सरकार बन जाती है। इसलिए इसे निवेदन समझिए या सलाह फिर बनारस मत आईएगा।
आपका शुभचिंतक
रोशन (बीएचयू छात्र)