नोटबंदीः सॉफ्ट टारगेट की तालाश में !

कौन पकडा गया ? किसका काला धन है ? कैसे इतनी करैसी मिली ? ये महत्वपूर्ण नही रहा. बस एक लाइन ये कह दिया कि बैक कर्मचारियो का हाथ है.

इसको कहने के पहले जरा जांच तो कर लेते कि वो लोग कौन है और कैसे करेंसी हासिल की वो बडे राजनेता है. माफिया डान है. अपराधी है उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत हो नही रही. बस एक लाइन मे कह दिया बैक का हाथ है और अगर है तो पकडो और जनता को बताओ वो कौन है ?

लाखोंं बैंक कर्मचारियो मेंं अगर दस बीस कर्मचारियोंं ने लालच मे आकर, डरकर, मजबूरी में या किसी भी कारण से ऐसा किया तो पकडो और जांच करो और जनता को बताओ, लेकिन ऐसा न करके बडे लोगों के नाम को बचाते हुए, बस एक लाइन कह देना कि बैंक का हाथ है और यह कहकर अपनी असफलता से जनता का  ध्यान बैंकों की ओर किया जा रहा है. बैंक कर्मचारी जो रात १०/११ बजे तक काम करे और ऊपर से ये इल्जाम सहे.

बीजेपी नेता से २००करोड

चैन्नई मे रेडडी नेता से १०६ करोड

दिल्ली मे आई टी फर्म के वकील से २०० करोड.

जरा जनता को भी तो बताओ कौन से बैंक कर्मचारी ने दिये थे.

दो चार कर्मचारियो के दोष का ठीकरा पूरी बैक इन्डसटरी के सिर फोडना ठीक नही है. बैंक कर्मचारी चूंकि अपने बचाव मे कुछ कह नही पा रहा इसलिए सबने उसे सांफ्ट टारगेट बना लिया.

मै तो कहता हू कि इस हेरा फेरी मे बडे नेताओ और डान माफियाओ का हाथ है लेकिन बैक वालो को फसाया जा रहा है. बरामद नोट किस बैक को जारी किये गये थे ये पता लगाना कौन सी बडी बात है. तो जनता को बताओ. लेकिन क्या बताओगे जब बैंक पहुचने के पहले ही हेराफेरी हो गयी हो तो क्या बताओगै ?

और अगर बैक ने किया तो नाम भी बताओ और ये भी जांच करो किसको दिये क्यो दिये ? किसके आदेश पर दिये ? बन्दूक की नोक पर दिये? मंत्री के कहने पर दिये ?? जब पकड ही लिया है तो साफ साफ बताने मे क्या परेशानी है या केवल बैंकों के खिलाफ माहौल बनाकर अपनी असफलता को छिपाना है.



Author: Rohit Sharma
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