- December 19, 2016
- Posted by: Rohit Sharma
- Category: Blog

भारत के मुकाबले वेनेजुएला कितना बड़ा देश है? लेकिन वहां का समाज और सरकार भारत के मुकाबले शायद ज्यादा वे जिंदा है। बिना तैयारी नोटबंदी के चंद रोज के भीतर वहां भी लोगों के खाने-पीने तक पर आफत आ गई, लोग जरूरत की चीजें तक नहीं ले पा रहे थे, पैसे के लिए बैकों के सामने लंबी लाइनें लग गईं, लोग तबाह हो गए, नकदी के संकट के कारण हज़ारों दुकानें बंद हो गईं और लोगों को क्रेडिट कार्ड या बैंक ट्रांसफर के ज़रिए लेन-देन करने के लिए बाध्य किया गया।
उसके बाद वेनेजुएला की जनता ने भारत की तरह चुपचाप लाइन में लग कर सहनशीलता का विश्व रिकार्ड बनाना या सहनशीलता की किताब में नाम लिखवाना जरूरी नहीं समझा…। वे सड़कों उतर गए, सुपर मार्केट में लूट-पाट होने लगी, नोट जलाए जाने लगे। एक व्यक्ति की जान चली गई..!
फिर सरकार ने तुरंत नोटबंदी को वापस लेने की घोषणा कर दी।
यानी वेनेजुएला जैसे देश में जागरूकता का स्तर यह है कि नोटबंदी जैसी मूर्खतापूर्ण फैसले को किसी सिरफिरे की करतूत मान कर लोगों ने सीधे विरोध पर उतर जाना जरूरी समझा।
सवाल है कि भारत में ऐसा क्यों नहीं हुआ ?
क्या यहां की जनता का राजनीतिक प्रशिक्षण ठीक से नहीं होने दिया गया है? क्या यहां की जनता इस कदर चेतना से शू्न्य है?
जिस पार्टी की सरकार है, उससे संवेदनशीलता और जिम्मेदारी की उम्मीद करना बेवकूफी है। वरना नोटबंदी की वजह से सौ से ज्यादा लोगों की ”हत्या’ के बाद भी सरकार और उसके अंधे समर्थक आम लोगो की भीषण तकलीफों का मजाक नहीं उड़ाते ।। लेकिन वेनेजुएला में ठीक इसी तरह की समस्या और हल के बीच क्या हुआ, दुनिया ने देखा,,,। इसीलिए वेनेजुएला भारत के मुकाबले बड़ा देश है…!
Arvind Shesh