नोटबंदी की असफलता का दोष पूरी बैंकिंग व्यवस्था पर ठेलने की कुत्सित साजिश !

बेंगलुरु मे रिजर्व बैंक अॉफ इंडिया के अफसर ,सीनियर स्पेशल असिस्टेंट के. माइकल की गिरफ्तारी एक करोड़ 51 लाख 24 हजार रुपये के पुराने नोट को नए नोट में बदलने के मामले में की गई है.
यानि साधारण बैंक तो छोड़िए यहाँ तो अब रिजर्व बैंक की भी इमेज दांव पर लग गयी है.
अब नोटबंदी की असफलता का दोष पूरी बैंकिंग व्यवस्था पर ठेलने की कुत्सित साजिशें की जा रही है, और कुछ निजी क्षेत्र के बैको के नाम भी उछाले जा रहे है, गोया क़ि सारी गलती उन्ही की ही है.
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एस एस शिशोदिया ने कहा कि एक तो कर्मचारियों पर दबाव है. दूसरी तरफ हमारे लोगों को शक के नजर से देखा जा रहा है.
शिशोदिया ने कहा, ‘ज्यादातर खामियां सरकार के डायरेक्टिव की हैं. बैंकों में 20 प्रतिशत भी कैश नहीं है. लोगों को लग रहा है कि बैंक वाले गलत कर रहे हैं…’. शिशोदिया आगे कहते हैं, ‘सरकार का तब तक साथ देंगे जब तक वह केवाईसी नार्म को पालन नहीं करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई करती है. जिस दिन केवाईसी नार्म पालन करने वाले लोगों पर कार्रवाई करेगी, उस दिन हम लोग चुप नहीं रहेंगे’.
यानि अब बैंक वालो ने साफ़ कर दिया है कि अनावश्यक दबाव को वह अधिक दिन तक बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे.
बैंक वालो की यह हालत के जिम्मेदारी तो रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की सबसे अधिक है.
कोई भी प्रधानमंत्री चाहे कुछ भी कहे पर कम से कम रिजर्व बैंक के गवर्नर को तो उस वचन का ध्यान रखना चाहिए था जो वह हर नोट पर छाप कर देता है, उनकी सभी बैंकों के कर्मचारियों के प्रति कुछ तो जवाबदेही बनती ही है.
आज आर्थिक हालात देश मे बद से बदतर होते जा रहे है, बैंकों और ग्राहकों का भरोसा तोड़ने को अब सत्तापक्ष ही आतुर बैठा हुआ है.



Author: Rohit Sharma
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