हज सब्सिडी की हकीकत …

हज सब्सिडी के ज़रिये फ़िरक़ा परस्त लोग काफी वक़्त से मुसलमानो को शर्मशार करतें रहें हैं.

लेकिन क्या वाक़ई सब्सिडी हाजियों को दी जाती है ?
आइये ज़रा कुछ हिसाब किताब निकलतें हैं.

कैलकुलेशन ऑफ़ सब्सिडीः

फिलहाल मक्का शरीफ से इंडिया के लिये हाजियों का कोटा एक लाख छत्तीस हज़ार (1,36,000) का है.

पिछले साल हमारी गवर्नमेंट ने सालाना बजट में 691 करोड़ हज सब्सिडी के तौर पर मंज़ूर किये थे.

691 करोड़ ÷ 1.36 lakh = 50.8 हज़ार
यानी एक हाजी के लिए 50000 रुपये.

◀ अब ज़रा खर्च जोड़ लेते हैं ▶

एक हाजी को हज के लिए गवर्नमेंट को एक लाख अस्सी हज़ार (1,80,000) देने पड़ते हैं.

जिसमे चौतीस हज़ार (34,000) लगभग 2100 रियाल मक्का पहुँचने के बाद खर्च के लिए वापस मिलतें हैं.
1.8 लाख – 34000 = 1.46 लाख

यानि हमें हमारी गवर्नमेंट को एक लाख छियालीस हज़ार (1,46,000) रुपये अदा करने पडतें हैं.

मुम्बई से जद्दाह रिटर्न टिकट 2 महीने पहले बुक करतें हैं तो कुछ फ्लाइट का किराया 25000 रुपये से भी कम होगा. फिर भी 25000 रुपये मान लेतें हैं (irctc पर चेक कर लीजिये).

खाना टैक्सी/बस का बंदोबस्त हाजियों को अलग से अपनी जेब से करना होता है.
गवर्नमेंट को अदा किये एक लाख छियालीस हज़ार रुपये (1,46,000) में से होने वाला खर्च –
फ्लाइट = 25,000
मक्का में रहना(25दिन) = 50,000
मदीना में रहना(15दिन) = 20,000
अन्य खर्चे = 25,000
कुल खर्च हुआ =1,20,000

कन्फ्यूज़न:

मतलब एक हाजी से लिये 1,46,000 रुपये और खर्च आया 1,20,000 रुपये मतलब एक हाजी अपनी जेब से गवर्नमेंट 26,000 देता है.
अब असल मुद्दा ये है की जब हाजी सारा रुपया अपनी जेब से खर्च करता है और उसके ऊपर भी 26,000 रुपये और गवर्नमेंट के पास चला जाता है.
मतलब लगभग एक है से सब्सिडी मिला कर गवर्नमेंट के पास 76,000 हज़ार हो जाता है तो ये पैसा जाता कहाँ है ?
26,000+50,000 × 1,36,000= 10,33,60,00,000 (दस अरब तेतीस करोड़ साठ लाख रुपया).

याद रहे की एयर इंडिया कंपनी फिलहाल 2100 करोड़ के घाटे में चल है.
बिला शुबहा ये रुपया एयर इंडिया कंपनी और पॉलिटिशियन के जेब में जाता है.
और शर्मिंदा मुसलमानो को किया जाता है.



Author: Rohit Sharma
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