रिजर्व बैंक को नहीं पता 2000 के कितने नोट छपे

इसी को कहते हैं – अंधेर नगरी , चौपट राजा. गजब बात है कि अभी तक रिजर्व बैंक को नहीं पता कि विमुद्रीकरण के बाद कितने 2000 के नोट छापे गए! मुम्बई के अनिल गलगली की आर टी आई के जवाब में यह बात रिजर्व बैंक ने खुद स्वीकार की है. रिजर्व बैंक ने अनिल गलगली को बताया कि यह नोट बेंगलुरु स्थित “भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्र. लि. और नयी दिल्ली स्थित “सेक्युरिटी प्रिंटिंग एंड माईनिंग कर्पोरेशन लिमिटेड” ने छापे हैं और उनसे विवरण माँगा गया है, जो अभी तक मिला नहीं है, इस लिए यह जानकारी नहीं उपलब्ध करायी जा सकती.
जरा सोचिये ये नोट छप रहे थे या इलेक्शन के पर्चे? या किसी की शादी के कार्ड?जिनको प्रेस का बाइडिंग और पैकिंग विभाग गिन कर बताएगा?
क्या ये नोट बिना रिजर्व बैंक के किसी आदेश पत्र के छप रहे थे? क्या इनकी डीलिवेरी बिना रिजर्व बैंक की जानकारी के ही कर दी गयीं ?
इसके अलावा अभी कुछ दिन पहले नोट बंदी की अवधि समाप्त होने पर 5 जनवरी को रिजर्व बैंक नि अपनी अधिकारिक विज्ञप्ति में यह स्वीकार किया था कि नोट बंदी के दौरान कुल कितना कैश जमा हुआ, वह तुरंत बताने की स्थिति में नहीं है.
जब कि बैंकिंग में कैश का हिसाब और मिलान रोज होता है. ब्रांच से लेकर करेंसी चेस्ट और रिजर्व बैंक तक. कोई बताये कि नोट बंदी के दौरान हुयी इन अनियमितताओं की जांच कहाँ होगी?
या फिर यह रिजर्व बैंक नहीं किसी लाला की दूकान है ?

राजेश मंगल की वॉल से



Author: Rohit Sharma
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