फकीर राजा की कहानी
- December 4, 2016
- Posted by: Rohit Sharma
- Category: News

बहुत पहले की बात है एक राज्य में विचित्र प्रथा थी कि अगर राजा की कोई संतान न हो तो राजा की मौत के बाद जो पहला व्यक्ति राज्य की सीमा में प्रवेश करे उसे ही राजा मानकर राजपाठ सौंप दिया जाये.
एक रात राजा चल बसे. उनकी कोई संतान भी नही थी सो परंपरा के अनुसार राजा के उत्तराधिकारी की तलाश में राज्य की सीमाओं पर सेना को सतर्क कर दिया गया.
देर रात पड़ोसी राज्य से पदल चलते हुये चिमटा और कमंडल लिये एक साधू राज्य की सीमा पर पहुंचे. सीमा पार करते ही सैनिको ने उनसे बताया कि परंपरा के अनुसार अब वो ही इस राज्य के राजा हैं और उन्हे रथ पर बैठा कर महल में ले आये. साधू लगातार ये कहता रहा उसे राजपाठ चलाना नही आता आप किसी और को चुन लें. राज्य के मंत्रियों ने उनकी एक न सुनी और उनका राजतिलक कर दिया.
अभी उन साधू को राजपाठ संभाले कुछ ही दिन हुये थे कि पड़ोसी राज्य ने आक्रमण कर दिया. सेनापति उस साधू बने राजा के पास गये और उन्हे आक्रमण की जानकारी दी और कहा महाराज हमारी सेना तैयार है बस आपका आदेश पाते ही पड़ोसी राज्य की सेना को खदेड़ देगी. राजा ने सेनापति से कहा अभी शांत बैठे रहिये.
थोड़ी देर में सेनापति फिर आया. महाराज आदेश दीजिये शत्रु की सेना नगर में प्रवेश कर चुकी है. राजा ने फिर भी कुछ जवाब नही दिया.
थोड़ी देर में सेनापति फिर आये. इस बार बहुत घबराये हुये थे. महाराज शत्रु की सेना किले के अंदर आ चुकी है. आदेश दीजिये वर्ना हम सब मारे जायेंगे. राजा मुस्कुराये और कहा चिंता मत करो.
कुछ ही मिनट के बाद सेनापति पूरी मंत्रीपरिषद के साथ आये और कहा अब तो अंत निश्चित है शत्रु सेना महल के अंदर आ चुकी है अब तो कुछ कीजिये.
ये सुनकर राजा उठ खड़े हुये, अपना चिमटा और कमंडल उठाया और कहा मै तो चला अब आपलोग संभालो. मैंने पहले ही कहा था राजपाठ चलाना मेरे बस का नही पर आप लोग माने ही नही.
Hi
nice story and good thought best of luck to continue…
वर्तमान व्यवस्था पर जबरदस्त प्रहार ।