देश के खुदरा व्यापार को बर्बाद किया जा रहा है !

आखिरकार क्यों इस देश के खुदरा व्यापार को बर्बाद किया जा रहा है, यह समझ से परे है, यह घटना स्वयं मेरे साथ घटी इसलिए कोई, किंतु परन्तु की गुंजाईश नहीं है. आज शहर के प्रतिष्ठित व्यापारिक इलाके मे कुछ खरीदने गया. 1300 का सामान खरीदा और लैस कैश होने की वजह से भुगतान कार्ड व्दारा करने की बात कही. दुकानदार स्वाइप मशीन से पेमेंट करने की बात पर साफ़ मुकर गया. “आप पेटीएम कर दो”, मोबाइल फोन मेरे हाथ मे देखकर वह तंजपूर्वक बोला.

मैंने देखा क़ि बड़ी दूकान थी. मुख्यमार्ग पर थी. आखिर क्यों वह कार्ड पेमेंट से वह मना कर रहा है. थोड़ा कुरेदने और थोड़ा विश्वास मे लिए जाने पर वह बोला क़ि “भाई साहब स्वाइप मशीन तो है लेकिन आप कीमत मे 2% एक्स्ट्रा तो दोगे नहीं. हमे अपनी जेब से भुगतना पड़ेगा, और यदि आप पेटीएम कर दोगे तो आपको यह 2% नही लगेगा, और आपका काम भी हो जाएगा.

मैंने पूछा “क्या जब आप पेटीएम से अपने खाते मे पैसा डालोगे तब आपको कोई चार्ज नहीं लगेगा ?” वह बोला “चार्ज क्यों लगेगा ? हम वो रकम हमने जिस से माल लिया है उसको पेटीएम के मार्फत ट्रांसफर कर देंगे.”

मैने पेटीएम नही किया और जैसे तैसे कैश की व्यवस्था कर सामान खरीदा. पेटीएम तो वैसे ही पसन्द नही था और इस घटना के बाद और माथा ठनक गया.

जैसे ही एक जनवरी हुई है अब पांच सौ से एक हजार रुपए तक का सामान खरीदने पर 0.25 प्रतिशत, एक से दो हजार रुपए तक की खरीदी पर 0.50 और दो से चार हजार की खरीदी पर 02 प्रतिशत चार्ज लग रहा है. क्रेडिट कार्ड से 100 रुपए की ही खरीदी पर भी 2 फीसदी ट्रांजेक्शन शुल्क लगाया जा रहा है, इसलिए क्रेडिट कार्ड से खरीदी और भारी पड़ रही है.

यह रकम बैंक वाले दुकानदारों के खाते से काट रहे हैं. दुकानदार प्राफिट कम होता देखकर ग्राहकों से यही चार्ज मांग रहा है. इससे दोनों पक्षों में विवाद की स्थिति पैदा होने लगी है. लोगों का तर्क है कि अगर वे हजार रुपए का सामान खरीद रहे हैं तो इतनी ही रकम कार्ड से पेमेंट करेंगे. दुकानदारों का कहना है कि इस रकम में उनका प्राफिट कम हो रहा है, इसलिए वे इसे कस्टमर से ही वसूलेंगे.

बैंक हर कारोबारी से पीओएस मशीन के एवज में 250 से 1000 रु. तक किराया वसूल करते हैं. दुकानदार इसकी भरपाई भी ग्राहकों से ही करता है. कार्ड से स्वाइप कराने पर वो चार्जेस के नाम पर चीजों की कीमत बढ़ा देता है. इस वजह से लोगों को कार्ड से किसी भी सामान की कीमत ज्यादा देनी पड़ती है. दुकानदार ग्राहकों से ये भी कहते हैं कि “भुगतान कैश में करेंगे तो डिस्काउंट मिल सकता है.”

कारोबारियों से डिस्काउंट लेने के लिए लोग कैशलेस के बजाय नगद भुगतान पर ही भरोसा कर रहे हैं और अभी विड्राल लिमिट होने की वजह से वे बड़ी खरीदी नहीं कर पा रहे हैं.

यानी कुल मिलाकर आर्थिक मंदी के हालात जानते बुझते पैदा किये जा रहे हैं और यह पेटीऍम जैसी कम्पनी को लाभ पुहचाने की सोची समझी रणनीति प्रतीत हो रही है.

होना यह चाहिए था कि सरकार को डिजिटल कारोबार को बढ़ावा देने के लिए कार्ड से पेमेंट पर चार्ज 0.5 % से भी कम करना चाहिए थे और यही सिफारिश केंद्र सरकार की बनाई मुख्यमंत्रियों की कमेटी ने भी की थी, लेकिन नोट्बंदी के दो महीने बीत जाने के बाद भी इस बेहद महत्वपूर्ण निर्णय को नहीं लिया जाना यह सिध्द करता है कि सरकार नीयत ठीक नहीं है.
Girish Malviya ke wall se-



Author: Rohit Sharma
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