“जंग” को किस रुप में याद रखा जाये ?

जंग की कहानी तो हम सब जानते हैं जिससे बचने के लिए टेलीविजन के सुनहले पर्दे पर रंग-बिरंगे विज्ञापन दिखाये जाते हैं. परन्तु सत्ता में लगी जंग से कल शाम को ही छुट्टी हो गई अर्थात्् दिल्ली के उप-राज्यपाल जो दिल्ली की जनता के ऊपर जंग की भांति तैनात थी और खोखला कर रही थी, ने इस्तीफा दे दिया. देश की राजधानी में हुई इस घटना ने भारतीय राजनीति में घटित हुई एक अनोखी घटना ने सहसा ही सबको भौचक्का कर दिया. एकबारगी केन्द्रीय सत्ता की कलई भी भरभराकर ढह गई. आईये इस घटना को एक दूसरे नजर से भी देखने का प्रयास करते हैं.
आईये, एक बार लोगों के चरित्र का विश्लेषण करते हैं. चार तरह के लोग पाये जाते हैं. पहले प्रकार के वे लोग होते हैं जो परले दर्जे का बईमान होता है. इसे किसी भी तरह सुधारा नहीं जा सकता है. दूसरे प्रकार के लोग ठीक इसके उलट होते हैं जो हद दर्जे के ईमानदार होते हैं, इसे भी किसी भी तरह उलटाया नहीं जा सकता. तीसरे और चैथे प्रकार के वे लोग होते हैं जो मजबूरी में बईमान हो जाते हैं अथवा मजबूरी में ईमानदार हो जाते हैं.
दिल्ली के उप-राज्यपाल जो मूलतः आईएएस अधिकारी थे, के साथ भी यही समस्या थी. वे मजबूरी में बईमान बन गये थे और सत्ता के नजदीक रहने का उपक्रम करने के कारण बईमानी का साथ देने पर मजबूर थे. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अनेक बार अपने बयान में इस बात को स्पष्ट किया था कि उप-राज्यपाल अच्छे आदमी हैं, पर किसी कारण बईमानी का साथ देने के लिए बाध्य हैं. नजीब जंग के इस्तीफे और राजनीतिक धरातल से हटकर अकादमिक तौर पर खुद को स्थापित करने की बात कहकर एक बार फिर अरविन्द केजरीवाल के विश्लेषण की सच्चाई को उन्होंने स्पष्ट कर दिया.
चूंकि नजीब जंग अकादमिक क्षेत्र से आये थे इसलिए उन पर सत्ताधारी के बईमानी की परत उस कदर हावी नहीं हो पाया था अर्थात् उनके अन्दर की आत्मा अभी मरी नहीं थी. जब केन्द्र सरकार के कठपुतलीपन के कारण एक ईमानदार सत्ता (अरविन्द केजरीवाल) को परेशान कर रहे थे, तब उनके अन्दर का एक ईमानदार आदमी जागा होगा, जिसने ‘‘बस … अब और नहीं …’’ का नारा लगाया होगा, जिसकी परिणति दिल्ली के उप-राज्यपाल के इस्तीफे के तौर पर आया.
नजीब जंग की ईमानदारी को, उनके अन्दर के ईमानदार आदमी को निश्चय ही सलाम करना चाहिए ताकि दूसरे बईमान लोग सबक ले सके और मजबूरी में बईमानी का साथ देने वाले ईमानदार लोग अपने रीढ़ की हड्डी को सीधा कर भ्रष्ट सत्ता से सीधा कह दे कि ‘‘बस बहुत हुआ … हम अब ईमानदार सत्ता का साथ देने को कटिबद्ध है …’’
मैं समझाता हूं कि दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के दिल्ली के कार्यकाल को हमें इसी रूप में याद करना चाहिए. – रोहित शर्मा



Author: Rohit Sharma
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1 Comment

  • Chandrabhal ojha

    Aabhi intake kijiye . bislesan se pahle naye uprajpal k sath kejri k sambandhan no kuchh din dekh kijiye uske bad sahi bislesan me paeeyega. Jaldibaji thik nahi h.

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