कालेधन की कवायद

मोदी जी आप किसको मूर्ख बना रहे हैं? सांप निकल गया तो अब लकीर पीट रहे हैं। इस पूरी कवायद ने आपको सबसे बड़ा मदारी साबित कर दिया है। नागिन से लेकर कोबरा और अजगर से लेकर करैत तक सारे जहरीले विषैले सांपों को आपने पाल रखा है। पानी में तैरने वाले विषहीन मरियल सांपों को पकड़ने के लिए पूरे देश को कतार में खड़ा कर दिया। क्या आपको इस व्यवस्था के बारे में नहीं पता था? कहां तो कहा जाता है कि आप जमीन से उठे हैं। हर चीज की आपको जानकारी है। फिर इसमें कहां चूक हो गयी? क्या आप इस तथ्य से अनजाने हैं कि देश के बाहर काले धन का पहाड़ खड़ा करने में यहां के बैंकों की सबसे बड़ी भूमिका रही है? एचएसबीसी और आईसीआईसीआई का मनीलांडरिंग में नाम सबसे ऊपर है। ये ऐसे बैंक हैं जो लोगों की काली कमाई को विदेशों में जमा करने में सबसे आगे रहे हैं। उनके मालिक और मैनेजर घर में हरिश्चंद हो जाएंगे। ये कोई भोला आदमी ही सोच सकता है। लेकिन आप उतने भोले तो नहीं हैं। जिन बैंकों को आप जहां चाहते हैं उनसे कर्जे और पैसे दिलाते हैं और जरूरत पड़ने पर कारपोरेट के लाखों करोड़ रूपये एक कलम से माफ करवा देते हैं। अदानी को आस्ट्रेलिया में कोयले की खदान के लिए कर्जे की जरूरत रही हो या फिर एक लाख 14 हजार करोड़ रुपये की माफी। दोनों काम को आपने चुटकियों में किया है। ऐसे में बैंक किसी अपने लाभ के मौके को कैसे छोड़ देंगे?

अगर आप सचमुच में चाह रहे थे कि बैंक ईमानदारी से काम करें तो सबसे पहले मनीलांडरिंग में शामिल बैंकों के खिलाफ कार्रवाई करते। और कालेधन के मामले को भी ऊपर से ही हल करते। लेकिन आपकी न तो कोई ऐसी मंशा थी और न ही उद्देश्य। दअरसल नकद नोटों या कहें लिक्विडिटी संकट से जूझ रहे बैंकों को पैसे की जरूरत थी। बैंकों का पूरा कारोबार ठप होने के करीब था। आपने इस नोटबंदी के जरिये उन्हें मालामाल कर दिया है। अब आपके चहेते पूंजीपतियों और कारोबारियों को मनमाफिक लोन की सुविधा के साथ उनके लाखों लाख और करोड़ रुपये के कर्जे की माफी का रास्ता साफ हो जाएगा। नोटबंदी में मिलने की जगह नुकसान ही नुकसान दिख रहा था। यहां तक कि पूरे अभियान में खर्च हुए तकरीबन डेढ़ लाख करोड़ रुपये भी आते नहीं दिख रहे थे। ऐसे में सरकार को बड़ी चपत लग चुकी थी। लिहाजा उसके एक हिस्से की वसूली के साथ आपको जनता के लिए भी कुछ हासिल होते दिखाना था। इसलिए आंखों की शर्म को बचाने के लिए छिटपुट छापे की कार्रवाइयां संचालित कर रहे हैं। इस देश के इनकम टैक्स कर्मचारी-अधिकारी क्या दूध के धुले हैं? या फिर रातों-रात उनका कायाकल्प हो गया है ? सच ये है कि देश में कालाधन उनकी मिलीभगत से पैदा होता है। उन्हें हर कालाधन रखने वाले के बारे में पता होता है। अनायास नहीं अभी तक वही लोग पकड़े जा रहे हैं जो पहले से ही इनकम टैक्स के मामलों में घपलेबाजी कर चुके हैं। इसलिए कुछ रुपये जब्त कर और कुछ बैंकों के छोटे कर्मचारियों को पकड़कर सरकार अपनी नाकामी को नहीं छुपा सकती है।

अगर आप सचमुच ईमानदार होते तो सबसे पहले इसकी सफाई अपने घर से शुरू करते। दो ऐसे मामले सामने आये जिसमें सीधे तौर पर बीजेपी के शामिल होने की पुष्टि हुई है। एक बिहार में जमीनों की खरीद का मामला है। दूसरा कोलकाता में बीजेपी के खाते में नोटबंदी की घोषणा से चंद घंटे पहले 500-1000 नोटों की शक्ल में लाखों रुपये जमा होने का। आप कालेधन के तालाब की किसी छोटी मछली के यहां छापा मारने से पहले 500 करोड़ रुपये बेटी की शादी में खर्च करने वाले रेड्डी बंधुओं के यहां छापा मरवाते। 50 चार्टर्ड विमानों से मेहमानों को ढोने वाले गडकरी से इस्तीफा लेते और उनकी बेटी की शादी के खर्चों की जांच करवाते। लेकिन आपको ये सब तो करना नहीं है। आपको कालेधन के खिलाफ भी नहीं लड़ना है बल्कि आपको माहौल बनाना है। आपको कालेधन के खिलाफ लड़ते हुए महज दिखना है। अपराध के खिलाफ लड़ाई क्या अपराधियों को साथ लेकर लड़ी जा सकती है? पूरे देश में क्या एक भी बड़ा कालाधन रखने वाला पकड़ा गया? आपके पूरे गणित के हिसाब से तो सारा पैसा बैंकों में आ गया। कहने का मतलब सब लोग ईमानदार हैं। न कोई बड़ा पूंजीपति कालाधन रखे है। न ही कोई खद्दरधारी नेता। अगर किसी के पास कालाधन है तो वो गांव और कस्बों के छोटे किसान और गरीब गुरबा।

बहराइच में कल आपने भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध का आह्वान किया। किन लोगों के खिलाफ युद्ध लड़ेंगे? अभी बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए एमपी के व्यापम घोटाले को सामने आए। 35 से ज्यादा लोगों को ये लील गया। क्या हुआ उस घोटाले का? प्वायनियर अखबार के एक पत्रकार गोपी के हवाले से एक खबर चल रही है कि इशरत मामले में बरी होने के लिए अमित शाह ने तब के सीबीआई चीफ रंजीत सिन्हा को 40 करोड़ रुपये दिए थे। बीजेपी के सत्ता में आने के बाद सिन्हा ने हालांकि उसे शाह को लौटा भी दिया। उस खबर में दिल्ली के होटल और स्थान तक का जिक्र है। अब अगर आपका दाहिना हाथ ही भ्रष्टाचार में शामिल है तो फिर किसके भ्रष्टाचार के खिलाफ आप लड़ाई की बात कर रहे हैं? दअरसल आपको भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना नहीं है बल्कि लड़ते हुए बस दिखना है। हां कुछ राजनीतिक विरोधी अगर आपको परेशान करते हुए दिखेंगे तो आप जरूर उनके पीछे अपने तोते यानी सीबीआई को छोड़ देंगे। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पूर्व वायुसेना चीफ त्यागी की गिरफ्तारी के पीछे तत्काल वजह मनमोहन सिंह को शंट करना है। लेकिन बात आगे बढ़ेगी तो यह मामला तत्कालीन अटल सरकार तक जाएगी। क्योंकि उनके समय में ही हेलीकाप्टर की ऊंचाई में संशोधन का प्रस्ताव पारित हुआ था।

इन सबसे आगे अगर केंद्र सरकार सचमुच में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के प्रति ईमानदार होती तो सबसे पहले लोकपाल की नियुक्ति करती। जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संस्था के तौर पर स्थापित किया गया था। लेकिन सरकार ने पैदा होने से पहले ही उसे मार दिया। ढाई साल का वक्त बीत गया लेकिन लोकपाल की कुर्सी खाली है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने जब पूछा तो सरकार ने चलताऊ कारण बताकर मामले को फिर से टाल दिया। सीबीआई के स्थाई निदेशक की नियुक्ति के लिए सरकार एक बैठक तक नहीं कर पायी। जिसकी पहल आपको करनी थी। वैसे बताया जाता है कि आप दिन-रात काम करते हैं। उस पद पर अपने आदमी को बैठाने के लिए सरकार ने सारे नियमों कानूनों को ताख पर रख दिया। @mahindra



Author: Rohit Sharma
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